Thursday, May 25, 2017

भर दूं दुनिया को जज्बात से

भर दूं दुनिया को जज्बात से
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अमर पंकज
(डा अमर नाथ झा)
दिल्ली विश्वविद्यालय
भर दूं दुनिया को जज्बात से मैं
अगर हौसले पर
यूं चढ़ती रहे परवान।
नित देखता हूँ
दर्दे-दरिया हजारों
जज्ब कर भी
निकल ही आती
तेरे लबों पर
छोटी सी मुस्कान।
बहुत दुश्वारियां हैं
भले ही हजारों
परेशानियां हैं
फिर भी चलता रहा
मुस्कान के बल
ध्येय की ओर
सतत बढ़ता रहा
कोई क्या जाने
राज कि हर बार
इतने पास आकर
रस्ता तेरा
छोड़ने पर मजबूर क्यों
बवंडर और तूफान।

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